Saturday, October 31, 2020
मेहंदी, हल्दी से लेकर शादी तक, देखें काजल अग्रवाल की वेडिंग की बेस्ट फोटोज
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तस्वीरें: पूर्व PM इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर शक्ति स्थल पहुंचीं सोनिया और प्रियंका, दी श्रद्धांजलि
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ओडिशा: कंटेनमेंट जोन में 31 नवंबर तक बढ़ा लॉकडाउन, 30 नवंबर तक सभी शैक्षणिक संस्थान बंद
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Coronavirus: दिल्ली में 60 फीसदी वेंटिलेटर बेड पर मरीज, लेकिन रिकवरी रेट बढ़ने से मुश्किल हुई आसान
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तेजस्वी ने जेपी नड्डा को दी खुली बहस की चुनौती, कहा- पढ़ाई, कमाई, सिंचाई और दवाई बिहार का मुद्दा
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सरदार वल्लभ भाई पटेल को छोड़कर गाँधी ने नेहरू को प्रधानमंत्री क्यों बनवाया?
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बिहार में BJP का फ्री कोरोना वैक्सीन का वादा क्या चुनावी नियमों का है उल्लंघन, चुनाव आयोग ने कही ये बात
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Video: पेरिस में लॉकडाउन की वजह से लगा 700 KM लंबा ट्रैफिक जाम
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देश में एक दिन के भीतर मिले कोरोना के 48268 नए केस, कुल मामले 81 लाख से अधिक हुए
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Valmiki Jayanti 2020: डाकू से ऋषि कैसे बने महर्षि वाल्मीकि, अगर ऐसा ना हुआ होता तो ना लिख पाते रामायण
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US Election 2020: इलेक्शन डे वाले दिन कहां होंगे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, खुद बताया
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इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर राहुल ने ट्वीट किया श्लोक, प्रियंका ने शक्ति स्थल जाकर दी श्रद्धांजलि
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Delhi Pollution: दिल्ली की हवा हुई ज्यादा जहरीली, बढ़ते प्रदूषण के गंभीर आंकड़े आए सामने
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ट्रम्प बोले- कोरोना से हो रही मौतों से डॉक्टरों को फायदा हो रहा है, मैं व्हाइट हाउस में ही रहूंगा

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ चंद दिन बाकी हैं। इस बीच देश में कोरोनावायरस के मामले भी रिकॉर्ड तेजी से बढ़ रहे हैं। लेकिन, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अब भी बेफिक्र नजर आते हैं। इतना ही नहीं, अब तो वे डॉक्टरों पर भी आरोप लगाने लगे हैं। मिशिगन की एक रैली में ट्रम्प ने कहा कि कोरोनावायरस से हो रही मौतों से डॉक्टरों को फायदा हो रहा है। ट्रम्प ने भी भरोसा जताया कि वे ही व्हाइट हाउस में रहेंगे।
न्यूज एंकर का भी मजाक उड़ाया
मिशिगन की रैली में फॉक्स न्यूज की होस्ट लाउरा इन्ग्राम भी मौजूद थीं। वे मास्क लगाए हुए थीं। ट्रम्प ने उनकी ओर देखकर कहा- आप सियासी तौर पर तो बिल्कुल सही काम कर रही हैं। ट्रम्प ने डेमोक्रेटिक राज्यों की सरकारों वाले राज्यों और उनके गवर्नर्स पर भी तंज कसा। कहा- आप लोगों को डरा रहे हैं। जहां देखिए सिर्फ लॉकडाउन और प्रतिबंधों की बात हो रही है। क्या ऐसे ही हम इस महामारी का मुकाबला करेंगे। देश और लोगों को घरों में कैद होने से क्या महामारी खत्म हो जाएगी। इसका मुकाबला करना होगा। खास बात यह है कि ट्रम्प की इस रैली में शामिल हजारों लोगों में से ज्यादा बिना मास्क के नजर आए।
ट्रम्प और उनके सहयोगियों ने भी मास्क नहीं लगाया। न ही इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया। हालांकि, पहली बार किसी रैली में ट्रम्प ग्लव्ज पहने नजर आए।
बाइडेन ने ट्रम्प पर निशाना साधा
ट्रम्प मिशिगन में थे तो डेमोक्रेट कैंडिडेट बाइडेन मिनेसोटा पहुंचे। कहा- कोरोनावायरस के सामने ट्रम्प हथियार डाल चुके हैं। वे अब कोरोना से हो रही मौतों के लिए हमारे हेल्थ वर्कर्स को दोषी ठहरा रहे हैं। वे यह क्यों नहीं मान लेते कि उनकी एडमिनिस्ट्रेशन ने महामारी के हालात को बेहतर तरीके से नहीं संभाला। आप डॉक्टर्स और नर्स को कैसे कसूरवार ठहरा सकते हैं। वे रोज अस्पतालों और मेडिकल केयर सेंटर्स जाते हैं। अपनी जिंदगी खतरे में डालते हैं ताकि लोगों की जान बचाई जा सके।
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Sardar Patel Jayanti: वल्लभ भाई पटेल को कब और किसने दी 'सरदार' की उपाधि
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US Election 2020: रैली में बोले ट्रंप-देश को वापस पहले जैसा बनाएंगे, बाइडेन ने कहा, मुश्किलें अभी खत्म नहीं
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पीएम मोदी ने देशवासियों को दी वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं, पुण्यतिथि पर इंदिरा गांधी को किया नमन
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पीएम मोदी का गुजरात में आज दूसरा दिन, सरदार पटेल की जयंती पर एकता दिवस परेड में लेंगे हिस्सा
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फ्रांस में एक दिन में 49 और इटली में 31 हजार केस, बेल्जियम में सोमवार से कर्फ्यू लगेगा

दुनिया में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 4.58 करोड़ से ज्यादा हो गया है। 3 करोड़ 32 लाख 37 हजार 845 मरीज रिकवर हो चुके हैं। अब तक 11.93 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। यूरोपीय देश संक्रमण की दूसरी लहर से सहम गए हैं। फ्रांस में शुक्रवार को फिर एक दिन में करीब 50 हजार मामले सामने आए। इटली में संक्रमण की दूसरी लहर भी जानलेवा साबित हो रही है। यहां 24 घंटे में 31 हजार मामले सामने आए। बेल्जियम सरकार ने दबाव के आगे झुकने से इनकार कर दिया है। उसने कहा है कि सोमवार से लॉकडाउन लगाया जाएगा।
फ्रांस में मुश्किल जारी
फ्रांस में सरकार ने लॉकडाउन लगाया। इसके बावजूद यहां संक्रमण कम होता नजर नहीं आता। हालांकि, हेल्थ मिनिस्ट्री ने उम्मीद जाहिर की है कि इसे जल्द काबू में लाया जा सकेगा। लॉकडाउन और प्रतिबंधों का असर अगले कुछ दिनों में देखने मिल सकता है। फ्रांस में शुक्रवार को 49,215 नए केस दर्ज किए गए। इसी दौरान 256 संक्रमितों की मौत हो गई। अब तक यहां कुल 36 हजार 565 लोगों की मौत हो चुकी है। कुल मामले 13 लाख 31 हजार 984 हैं।

इटली में दूसरी लहर
इटली सरकार ने एक बयान जारी कर माना है कि देश में संक्रमण की दूसरी लहर चल रही है और अब यह घातक साबित होने लगी है। शुक्रवार को यहां कुल 31 हजार 84 मामले सामने आए। इसके पहले यानी गुरुवार को यह संख्या 27 हजार थी। यानी एक दिन में 4 हजार मामले बढ़ गए। मरने वालों का आंकड़ा भी सीधे 200 पर पहुंच गया। देश में 1765 मरीजों की हालत गंभीर बताई गई है।
बेल्जियम में कर्फ्यू
तमाम विरोध के बावजूद बेल्जियम सरकार ने साफ कर दिया है कि वो झुकने वाली नहीं है और सोमवार से देश में नेशनल लॉकडाउन से भी सख्त कर्फ्यू लगाया जाएगा। किसी भी घर में एक से ज्यादा मेहमान नहीं जा सकेगा और इसकी भी जानकारी हेल्थ अथॉरिटी को देनी पड़ेगी। स्कूलों में परीक्षाएं 15 नवंबर तक टाल दी गई हैं। वर्क फ्रॉम होम ही किया जा सकेगा। सरकारी अधिकारियों और स्टाफ को ऑफिस आने की मंजूरी दी जाएगी। लेकिन, उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव होनी चाहिए।
इंग्लैंड में भी लॉकडाउन
बेल्जियम और दूसरे यूरोपीय देशों की तर्ज पर इंग्लैंड में भी लॉकडाउन की तैयारी हो चुकी है। ये अगले हफ्ते से लगाया जाएगा। हालांकि, इसका औपचारिक ऐलान बाद में किया जाएगा। खास बात ये है कि पीएम बोरिस जॉनसन की पार्टी के ही कुछ लोग विपक्ष के साथ इसका विरोध कर रहे हैं। लेकिन, मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि जॉनसन ने अपने साइंस एडवाइजर की राय को ही तवज्जो दी है। यहां 24 घंटे में 274 नए मामले सामने आए जबकि 274 लोगों की मौत हो गई।

यूरोपीय देशों की कोशिश
यूरोपीय देशों में एक देश के मरीज दूसरे देश के अस्पतालों में शिफ्ट किए जा सकेंगे। इसके लिए स्पेशल फंड ट्रांसफर स्कीम भी लॉन्च की गई है। इसे बारे में यूरोपीय देशों ने एक समझौता किया है। फ्रांस और जर्मनी के अलावा स्पेन में भी नए मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इसकी वजह से यहां सरकारें अलर्ट पर हैं। मरीजों को ट्रांसफर करना यूरोपीय देशों में मुश्किल भी नहीं होगा क्योंकि ज्यादातर देश छोटे हैं और इनकी ओपन बॉर्डर हैं। सड़क के रास्ते भी आसानी से एक देश से दूसरे देश में जाया जा सकता है। ईयू कमिशन की हेड वॉन डेर लेन ने कहा- वायरस तेजी से बढ़ रहा है और इससे निपटने के लिए सहयोग जरूरी है। हमारी कोशिश है कि हेल्थ केयर सिस्टम पहले की तरह मजबूती से काम करता रहे।
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Never Say Die: वायुसेना से रिटायर उत्तराखंड के नरेश, कैसे कुछ 'खास' लोगों सपनों को देते हैं पंखों की उड़ान
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यूएई में सड़कों से लेकर कारखानों तक बिहार चुनाव की चर्चा, यहां रह रहे बिहारी चाहते हैं राज्य में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बने

(शानीर एन सिद्दीकी) इस वक्त हम मौजूद हैं दुबई के यूपी एन बिहार रेस्त्रां में। यहां गेट पर खड़े युवक नीतीश और तेजस्वी की जीत-हार का हिसाब-किताब लगा रहे हैं। इसी तरह की चर्चाएं यूएई की सड़कों से लेकर कारखानों तक आम हैं।
एक अनुमान के मुताबिक, यहां बिहार के 5 लाख लोग काम करते हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि हर साल वर्क वीसा पर बिहार से 70 हजार लोग यहां आते हैं और ये लोग बिहार की इकोनॉमी में सालाना दो हजार करोड़ रुपए का योगदान देते हैं।
विदेश में रहने वालों का डेटा रखा जाए
दुबई में इंजीनियरिंग कंपनी सिवान टेक्निकल कॉन्ट्रैक्टिंग और यूपी एन बिहार रेस्त्रां के मालिक अनुज सिंह भी नई सरकार से उम्मीदें लगाए बैठे हैं। वे बताते हैं कि उनकी नई सरकार से मांग है कि विदेशों में रह रहे लोगों का डेटा रखा जाए। इसके लिए नीतीश सरकार ने बिहार फाउंडेशन के तहत एक अच्छी शुरुआत की थी, पर यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी। वहीं, आयल एंड गैस इंजीनियर नवीन चंद्रकला कुमार बताते हैं कि बिहार से आने वाले ब्लू कॉलर वर्कर की तीन सबसे बड़ी जरूरत सावधानी, सुरक्षा और सहायता है।
वे कहते हैं कि एक राज्य से हर साल लाखों लोग काम करने विदेश जाते हैं और राज्य में कोई अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट नहीं है। यदि राज्य का अपना एयरपोर्ट होगा तो प्रशासन नए जाने वाले वर्कर को सूचना दे सकता है कि विदेश में कोई समस्या आने पर किससे और कैसे संपर्क करे।
इस पर निगाह रखी जा सकती है कि जाने वाला सही वीसा पर जा रहा है या नहीं। किस एजेंट के जरिए जा रहा है, उसका भी रिकॉर्ड रख सकते हैं। एजेंटों के रजिस्ट्रेशन की एक व्यवस्था राज्य सरकार को तुरंत शुरू कर देनी चाहिए। इससे बहुत सारे फ्राॅड रोके जा सकते हैं। पटना एयरपोर्ट, दरभंगा एयरपोर्ट और गया एयरपोर्ट को अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने की शुरुआत करनी चाहिए। इसमें राज्य सरकार के राजस्व, टैक्स और विदेशी मुद्रा के रूप में मदद भी होगी।
बिहार में राजनीति हमेशा मुद्दों से हटकर होती है
फुलवारी शरीफ के रहने वाले और फ्रेंच कंपनी में वरिष्ठ अधिकारी के पद पर कार्यरत इरफानुल हक बताते हैं कि दुबई में बैठ कर हम सिर्फ अनुमान ही लगा सकते हैं कि इस बार चुनाव में क्या होने जा रहा है। पर बिहार में राजनीति हमेशा असल मुद्दों से हट कर होती है।
उम्मीद है कि नई सरकार शिक्षा और मूलभूत सुविधाओं को तरजीह देगी। विकसित राज्यों की तर्ज पर बिहार में भी नए उद्योगों के लिए फ्री जोन बनाएगी। राज्य में निवेश करने वाले बिहारी उद्योगपतियों को टैक्स में छूट, सुरक्षा की गारंटी, कारोबार में आसानी जैसी नीतियां लागू करेगी। नई सरकार निवेश के लिए नया मंत्रालय भी बना सकती है जो की विदेश में रह रहे अप्रवासी बिहारी समाज के साथ मिल कर काम कर सकता है।
हालांकि यहां रह रहे लोगों को चुनाव का हिस्सा न बन पाने का भी मलाल है। अनुज बताते हैं कि यहां चुनाव पर बहस और चर्चा का ऐसा माहौल बनता जा रहा है कि जैसे बिहार में ही बैठे हों। परिवार वालों से फोन और न्यूज चैनलों के जरिए लोग चुनाव की हर जानकारी जुटा रहे हैं। यदि सरकार और हाई कमीशन व्यवस्था करेगा तो वोटिंग के लिए लंबी कतारें दिखेंगी।
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ट्रम्प के दौर में अमेरिका ने अपना सम्मान खो दिया, उनकी फैमिली सेपरेशन पॉलिसी बहुत क्रूर रही

ये कैटलॉग तैयार करना भी बेहद मुश्किल काम है कि डोनाल्ड ट्रम्प के चार साल राष्ट्रपति रहने के दौरान हमने क्या-क्या गंवाया। जब मैं इन बातों को लिख रहा हूं तब तक कोरोनावायरस के चलते 2 लाख 25 हजार अमेरिकी नागरिक मौत का शिकार बन चुके हैं। महीनों से हमारे यानी अमेरिकी बच्चे स्कूल नहीं गए हैं। बहुत जल्द देश का बड़ा हिस्सा थैंक्सगिविंग भी सेलिब्रेट नहीं कर पाएगा।
बच्चों को परिवार से जुदा कर दिया
ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने क्रूर फैमिली सेपरेशन पॉलिसी बनाई। बहुत मुमकिन है कि इसका शिकार बने 545 बच्चे अब कभी अपने पैरेंट्स से न मिल पाएं। अग्रणी लोकतंत्र के तौर पर अमेरिका अपना रुतबा और सम्मान खो चुका है। हमने सुप्रीम कोर्ट की जज रूथ बेंदर गिन्सबर्ग को खोया। सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद यह पहला मौका जब इतने अमेरिकियों ने नौकरियां गंवाईं। इनके साथ उन सांस्कृतिक घटनाओं को हुआ नुकसान भी जोड़ लीजिए, जो ट्रम्प के दौर में हुआ।
पिछले चार साल का अनुभव
जब मैं पिछले चार साल अपनी तरह से देखता हूं तो उसमें ऐसा लगता है कि जैसे इस प्रेसिडेंट का दौर किसी ब्लैकहोल की तरह रहा। अपनी तरह के और अलग नुकसान हुए। हर वक्त यह महसूस हुआ कि ट्रम्प अपनी तरह की बातें गढ़ते हैं और तारीफ किसी और चीज की करते हैं। मुझे लगता है कि पिछले चार साल में काफी बेहतर हुआ होगा। लेकिन, इसमें से ज्यादातर का फायदा मुझे नहीं हुआ। क्योंकि, मैं अपने फोन में ही बिजी रहा। ये उस आदमी के साथ होता है जो पॉलिटिक्स में जिंदगी खोजता रहा। ऐसा मैं अकेला नहीं हूं।
कई किताबें लिखी गईं
इस दौर में कई किताबें लिखी गईं। ट्रम्प पर उनके दौर का जिक्र करते हुए। पुलित्जर प्राइज विनर आलोचक कार्लोस लोजदा कहते हैं- ट्रम्प के दौर में कई राजनीतिक किताबें लिखी गईं। मैंने भी इनमें से कई किताबें पढ़ीं और उनकी तारीफ भी की। 2015 के बाद से फिक्शन पर नॉन फिक्शन भारी हो गया। यह बदलाव ट्रम्प के सत्ता में आने से पहले ही नजर आने लगा था। लेकिन, चार साल में तो यह चरम पर पहुंच गया। एनपीडी की क्रिस्टीन मैक्लीन कहती हैं- ट्रम्प ने हमारे दिमाग में जगह बना ली और वहां इतनी भीड़ है कि हम कुछ और सोच नहीं पाते।
फिक्शन पर जोर
एक लेखक पूछते हैं- यह सब क्या चल रहा है और कब खत्म होगा। यह तो उससे बहुत अलग है जिसकी हम बतौर अमेरिकी कल्पना करते आए हैं। हम दुनिया में रहना चाहते हैं लेकिन अब यह सोच जैसे सस्पेंड हो रही है। ट्रम्प के पहले मैंने कभी नहीं सोचा कि जिंदगी का यह हिस्सा फास्ट फॉरवर्ड हो और गुजर जाए। इस दौर में टीवी ड्रामा ही बेहतर हैं क्योंकि सच्चाई बहुत जहरीली होती जा रही है। तब बहुत अच्छा लगता जब आर्ट और पॉलिटिक्स में सामंजस्य हो। लेकिन, जब सियासित आपको चेतावनी देने लगे तो संस्कृति भी मुश्किल में दिखाई देने लगती है। इस दौर में आर्ट तबाह हुआ। इसके लिए ट्रम्प जिम्मेदार हैं।
संस्कृति का दम घुट रहा है
चाहे दक्षिणपंथी हों या वामपंथी। ये मिले हुए हैं और इस दौर में सांस्कृतिक तौर पर दम घुट रहा है। परंपरावादी डेमोक्रेट्स का मजाक उड़ाते हैं और वे ट्रम्प के साथ हैं। यह ठीक वैसे ही है जैसे किसी के घर में आग लगाकर हम हंसने लगें। उसके जख्मों पर नमक छिड़कें। ट्रम्प के दौर में क्रिएटिविटी के लिए जगह नहीं बची। इसके लिए राष्ट्रपति जिम्मेदार हैं, वे लोग नहीं जिन्होंने इसका खामियाजा भुगता।
रोशनी की गुंजाइश नहीं छोड़ी
ट्रम्प का दौर कला यानी आर्ट के लिए अच्छा नहीं रहा। यह कल्पना के लिए भी खराब वक्त था। लोगों को अब आगे आना होगा। इस परेशानी से बाहर निकलने की कोशिश करनी होगी। इसके लिए ज्यादा ताकत और ऊर्जा लगानी होगी। ट्रम्प ने रोशनी को रोका है। जब वो चले जाएंगे तब हम देख पाएंगे कि हमने कितना और क्या खोया है।
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Turkey: तुर्की में भूकंप के कारण अब तक 17 लोगों की मौत, 700 से ज्यादा लोग घायल, बचाव अभियान अब भी जारी
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Friday, October 30, 2020
कश्मीर में बीजेपी नेताओं की हत्या पर बोले जेपी नड्डा- 'व्यर्थ नहीं जाएगा बलिदान'
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भारत में आज से पूरी तरह से बंद होगा PUBG Mobile गेम, कंपनी ने अफसोस के साथ किया ऐलान
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फरीदाबाद की घटना पर Sona Mohapatra ने जताया दुख, पूछा- निकिता ने वो सब किया जो लोग कहते हैं, क्या मदद मिली?
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बोले चिराग पासवान-अब तो जब ट्रंप ही कहेंगे कि BJP और मेरा कोई लेना-देना नहीं तभी...
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वैक्सीन पर अदार पूनावाला का बड़ा बयान, इमरजेंसी लाइसेंस के लिए अप्लाई कर सकता है सीरम इंस्टीट्यूट
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देश में एक दिन के भीतर मिले कोरोना के 48648 नए केस, 563 मरीजों की हुई मौत
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US Election 2020: फ्लोरिडा में ट्रंप और बाइडेन के बीच टाई की स्थिति, रैली में जीत के दावे
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AAP विधायक अमानतुल्लाह खान के खिलाफ FIR दर्ज, NIA ने लगाया ये गंभीर आरोप
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नीस में हमला करने वाला ट्यूनीशिया का रहने वाला था, वो इटली से फ्रांस पहुंचा

नीस शहर के एक चर्च में गुरुवार को तीन लोगों की हत्या करने वाला आतंकी मूल रूप से ट्यूनीशिया का नागरिक था। वो इटली से फ्रांस पहुंचा था। आरोपी की उम्र करीब 20 साल है। फ्रांस के एंटी टेरर डिपार्टमेंट ने यह जानकारी दी। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि इस मुश्किल घड़ी में अमेरिका फ्रांस के साथ खड़ा है। यूरोपीय यूनियन ने भी कहा है कि इस तरह के हमले बर्दाश्त नहीं किए जा सकते।
पिछले महीने इटली आया था
एंटी टेरर डिपार्टमेंट के जीन फ्रेंकोइस रिकार्ड ने मीडिया से कहा- हमलावर की पहचान ट्यूनीशिया के नागरिक के तौर पर की गई है। वह 20 सितंबर को इटली से फ्रांस आया था। 9 अक्टूबर को पेरिस पहुंचा। उसके पास एक धार्मिक ग्रंथ भी मिला। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में वो गंभीर रूप से घायल हुआ है। पेरिस में उसका इलाज चल रहा है। हमले में घायल हुए 44 साल के चौथे व्यक्ति की हालत गंभीर बनी हुई हैं। हमलावर के बारे में पहले से कोई इंटेलिजेंस इनपुट नहीं मिला था।
ट्रम्प ने कहा- अमेरिका मुश्किल में फ्रांस के साथ
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने नीस आतंकी हमले की निंदा की। कहा- इस तरह के हमले कतई बर्दाश्त नहीं किए जा सकते। हम इस मुश्किल वक्त में फ्रांस सरकार के साथ खड़े हैं। कट्टरपंथी इस्लामी आतंकियों के हमले हर हाल में बंद होने चाहिए। फिर चाहे ये फ्रांस में हों या किसी और देश में।
आतंकी हमले में अब तक क्या पता चला
- हमलावर को गुरुवार सुबह गिरफ्तार कर लिया गया। उसे हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है, क्योंकि गिरफ्तारी के दौरान वह घायल हो गया था।
- हमले की जांच कर रही फ्रांस की एंटी-टेररिज्म एजेंसी का कहना है कि हमलावर अकेले ही काम कर रहा था। हम किसी और की तलाश नहीं कर रहे हैं।
- नीस के मेयर क्रिस्टियन एट्रोसी ने कहा कि हमलावर पकड़े जाने के बाद अल्लाह-हू-अकबर का नारा लगा रहा था। इसके बाद कोई शक नहीं है कि उसका मकसद क्या था।
- एक व्यक्ति की हत्या चर्च के भीतर की गई है और बताया जा रहा है कि ये चर्च वॉर्डन था।
आतंक के खिलाफ लड़ाई में भारत फ्रांस के साथ: मोदी
मोदी ने कहा, ‘‘मैं फ्रांस में हाल ही में हुए आतंकी हमलों की कड़ी निंदा करता हूं। पीड़ितों और फ्रांस के लोगों के परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदना हैं। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत फ्रांस के साथ खड़ा है।’’
I strongly condemn the recent terrorist attacks in France, including today's heinous attack in Nice inside a church. Our deepest and heartfelt condolences to the families of the victims and the people of France. India stands with France in the fight against terrorism.
— Narendra Modi (@narendramodi) October 29, 2020
हमले की खबर सुनकर हैरान: ब्रिटिश पीएम
ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने कहा- नॉट्रे-डेम में गुरुवार को हुए बर्बर हमले की खबर सुनकर हैरान हूं। यूके आतंक और असहिष्णुता के खिलाफ फ्रांस के साथ मजबूती से खड़ा है।
I am appalled to hear the news from Nice this morning of a barbaric attack at the Notre-Dame Basilica. Our thoughts are with the victims and their families, and the UK stands steadfastly with France against terror and intolerance.
— Boris Johnson (@BorisJohnson) October 29, 2020
कुछ दिन पहले की गई थी हिस्ट्री टीचर की हत्या
कुछ दिन पहले फ्रांस में पैगम्बर साहब का कार्टून क्लास में दिखाने वाले एक हिस्ट्री टीचर की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद से फ्रांस सरकार इस्लामिक संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है। दुनिया के कई देशों में फ्रांस की आलोचना की जा रही है और इसके खिलाफ प्रदर्शन भी हो रहे हैं।
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फ्लोरिडा के एक ही क्षेत्र में ट्रम्प और बाइडेन की रैलियां, ट्रम्प बोले- ऐतिहासिक जीत मिलेगी

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव बिल्कुल करीब है। 3 नवंबर को इलेक्शन डे के पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उन्हें चुनौती दे रहे डेमोक्रेट कैंडिडेट जो बाइडेन एक ही दिन फ्लोरिडा पहुंचे। दोनों पार्टियों के लिए यह अहम राज्य है। यहां के टाम्पा क्षेत्र में दोनों ने एक घंटे के अंतर से रैलियां कीं। ट्रम्प की रैली में भीड़ ज्यादा थी। यहां उन्होंने जीत का भरोसा जताया। वहीं, बाइडेन ने वायरस और इकोनॉमी पर ट्रम्प को घेरा।
ट्रम्प बोले- ऐतिहासिक लाल लहर
टाम्पा की इस रैली में ट्रम्प के साथ पत्नी मेलानिया भी पहुंचीं। समर्थकों की भीड़ देख उत्साहित ट्रम्प ने कहा- हम जीत का नया इतिहास रचने जा रहे हैं। आप चारों तरफ लाल लहर (रिपब्लिकन पार्टी के झंडे का रंग) देख रहे हैं। फर्स्ट लेडी मेलानिया ट्रम्प ने भी लोगों से ट्रम्प को वोट देने की अपील की। ट्रम्प ने यहां महामारी का जिक्र कम किया। लेकिन, फोकस इकोनॉमिक रिकवरी पर रखा। महामारी पर उन्होंने वैक्सीन का जिक्र किया। कहा- मेरी कोशिश और प्लान यह है कि मैं जल्द आप तक एक सेफ वैक्सीन पहुंचा सकूं। यह बहुत जल्द यानी कुछ हफ्तों में आप तक पहुंच जाएगा। बाइडेन सिर्फ लॉकडाउन की बात कर रहे हैं। मैं लोगों को तबाह होते नहीं देख सकता। अमेरिका को इन हालात से मजबूत वापसी की जरूरत है।
बाइडेन ने क्या कहा
बाइडेन जब टाम्पा में रैली करने पहुंचे तो उन्हें बारिश से निराशा हुई। यहां उन्होंने क्यूबा का जिक्र किया। कहा- वहां रूस का प्रभाव बढ़ रहा है और अमेरिका बैकफुट पर आ गया है। ट्रम्प के पास क्यूबा और वेनेजुएला को लेकर कोई रणनीति नहीं है। दिक्कत ये है कि वे लोकतांत्रिक सरकारों की बजाए तानाशाहों की तारीफ करते हैं और उन्हें मदद देता है। अगर फ्लोरिडा ब्लू (डेमोक्रेट पार्टी के झंडे का कलर) हो जाए तो बाइडेन की जीत को कोई नहीं रोक सकता। महामारी को ही देख लीजिए। अकेले फ्लोरिडा में 16 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। राष्ट्रपति आखिर क्या कर रहे हैं। वो खुद संक्रमण फैला रहे हैं। उन्होंने नस्लवाद और बंटवारे का जहर फैलाकर देश को बांटने की कोशिश की है। जॉर्ज फ्लॉयड, ब्रेयोना टेलर और जैकब ब्लैक जैसे बेकसूर अश्वेतों की मिसाल हमारे सामने है।

17 लोग बीमार
फ्लोरिडा में गुरुवार को मौसम ने रंग बदले। जब ट्रम्प रैली करने पहुंचे तो काफी गर्मी थी। हालात इस कदर खराब हुए कि 17 लोगों को रैली से सीधे हॉस्पिटल ले जाना पड़ा। बाद में रिपब्लिकन पार्टी ने एक बयान में कहा- गर्मी की वजह से कुछ लोगों को सेहत संबंधी दिक्कत हुई। अब वे सभी ठीक हैं। इसके करीब एक घंटे बाद बाइडेन भी यहां रैली के लिए पहुंचे। इस दौरान बारिश शुरू हो चुकी थी। बाइडेन अपनी बात भी ठीक से नहीं कह पाए। ट्रम्प एक घंटे तो बाइडेन करीब 22 मिनट बोले।
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पीएम मोदी और राहुल गांधी ने देशवासियों को दी 'ईद-ए-मिलाद-उन-नबी' की बधाई
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चुनाव से 4 दिन पहले अमेरिका में रिकॉर्ड हुए 90,000 से ज्यादा कोरोना के मामले
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प्रदूषण से परेशान दिल्ली,आज भी हवा का स्तर बेहद खराब, AQI पहुंचा 400 के पार
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रूस में एक दिन में 18 हजार केस, यूरोप में मरीज एक देश से दूसरे देश में शिफ्ट किए जा सकेंगे

दुनिया में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 4.53 करोड़ से ज्यादा हो गया है। 3 करोड़ 29 लाख 85 हजार 561 मरीज रिकवर हो चुके हैं। अब तक 11.85 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। रूस में संक्रमण की दूसरी लहर का खतरनाक साबित हो रही है। यहां एक दिन में करीब 18 हजार नए मामले सामने आए। वहीं, यूरोपीय देशों ने तय किया है कि अगर एक देश के अस्पतालों में जगह कम पड़ती है तो मरीजों को दूसरे देश के अस्पताल में शिफ्ट किया जा सकेगा।
रूस में दूसरी लहर खतरनाक हुई
रूस में गुरुवार को संक्रमण के करीब 18 हजार नए मामले सामने आए। इसके बाद हेल्थ डिपार्टमेंट ने देश के सभी अस्पतालों और मेडिकल केयर सेंटर्स को अलर्ट पर रहने को कहा। खास बात ये है कि इसी दौरान 366 लोगों की मौत हो गई। सिर्फ एक राहत की बात है कि इसी दौरान 14 हजार मरीज स्वस्थ भी हुए। हेल्थ मिनिस्ट्री ने कहा- बढ़ती सर्दी की वजह से संक्रमण और तेजी से फैल सकता है और हमने इसके मद्देनजर तैयारियां की हैं। देश में अब तक 11 लाख से ज्यादा मरीज सामने आ चुके हैं।
यूरोपीय देशों की पहल
यूरोपीय देशों में एक देश के मरीज दूसरे देश के अस्पतालों में शिफ्ट किए जा सकेंगे। इसके लिए स्पेशल फंड ट्रांसफर स्कीम भी लॉन्च की गई है। इसे बारे में यूरोपीय देशों ने एक समझौता किया है। फ्रांस और जर्मनी के अलावा स्पेन में भी नए मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इसकी वजह से यहां सरकारें अलर्ट पर हैं। मरीजों को ट्रांसफर करना यूरोपीय देशों में मुश्किल भी नहीं होगा क्योंकि ज्यादातर देश छोटे हैं और इनकी ओपन बॉर्डर हैं। सड़क के रास्ते भी आसानी से एक देश से दूसरे देश में जाया जा सकता है। ईयू कमिशन की हेड वॉन डेर लेन ने कहा- वायरस तेजी से बढ़ रहा है और इससे निपटने के लिए सहयोग जरूरी है। हमारी कोशिश है कि हेल्थ केयर सिस्टम पहले की तरह मजबूती से काम करता रहे।

ताइवान नें 200 दिन से लोकल ट्रांसमिशन का केस नहीं
ताइवान ने संक्रमण पर तेजी से काबू पाने की कोशिश की थी। इसके नतीजे भी साफ तौर पर नजर आने लगे हैं। अमेरिका से जारी एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि ताइवान में 200 दिन से लोकल ट्रांसमिशन का कोई मामला सामने नहीं आया है। यहां अब तक 550 केस मिले हैं और कुल सात मौतें हुई हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ताइवान में आखिरी लोकल केस 12 अप्रैल को आया था। इसके बाद से यहां संक्रमण का कोई स्थानीय मामला सामने नहीं आया। ऑस्ट्रेलियन मेडिकल सेंटर ने कहा- न्यूजीलैंड और ताइवान ने वायरस को सबसे बेहतर तरीके से कंट्रोल किया है।

अमेरिका में एक हफ्ते में 5600 संक्रमितों की मौत
अमेरिका में चुनाव बिल्कुल सिर पर है, लेकिन यहां कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एक हफ्ते में पांच लाख से ज्यादा नए संक्रमित मिले हैं। इसी दौरान 5600 संक्रमितों की मौत हो गई। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने यह जानाकारी दी है। कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य इलिनॉइस है। 31 हजार मामले इसी राज्य में सामने आए। पेन्सिलवेनिया और विस्कॉन्सिन में भी हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। विस्कॉन्सिन के हेल्थ इंचार्ज आंद्रे पॉम ने कहा- हम चाहते हैं कि चुनाव के लिए मतदान के दौरान कोरोना दिक्कत न बने। इसके लिए हर जरूरी व्यवस्था की जा रही है।
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दुनियाभर के देश आतंकवाद के खिलाफ फ्रांस के साथ, राष्ट्रपति मैक्रों बोले- इस्लामिक हमलों से हार नहीं मानेंगे हम
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ट्रम्प अमेरिका को अपने बचपन वाले क्वीन्स में बदलना चाहते हैं, जहां गोरे रहते थे

न्यूयॉर्क शहर 5 हिस्सों क्वीन्स, मैनहटन, ब्रुकलिन, ब्रोंक्स और स्टैटन आइलैंड में बंटा है। इनमें क्वीन्स सबसे बड़ा है। मेट्रो से उतरते ही जमैका एस्टेट का आलीशान गेट दिखता है। यह यहां का सबसे रिहायशी इलाका है, जिसे ट्रम्प के पिता ने अप्रवासियों की पहुंच से बहुत दूर बसाया था।
इसलिए ट्रम्प अपने बचपन को याद करते हुए कहते हैं कि क्वीन्स का एक बड़ा इलाका ‘असभ्य’ था, लेकिन जमैका एस्टेट सुरक्षित जगह थी। पर आज जमैका स्टेट की अंदर और बाहर की दुनिया अप्रवासियों से घिरी है। दोनों तरफ के ज्यादातर लोग ट्रम्प को नापंसद करते हैं।
न्यूयॉर्क से श्वेत आबादी गायब हो रही है
उन सब में अपवाद ट्रम्प के पुराने पड़ोसी 57 साल के फ्रेड क्विन हैं। बताते हैं कि न्यूयॉर्क से श्वेत आबादी गायब हो रही है। वो याद करते हैं कि ट्रम्प के पिता फ्रेड ब्लू कैडिलैक लिमोजिन से दफ्तर जाते थे। फ्रेड के जर्मन पिता फ्राइडरिच ने कंस्ट्रक्शन का काम शुरू किया था, लेकिन 1918 में स्पेनिश फ्लू में चल बसे। फिर बेटे फ्रेड ने अमीर लोगों के लिए टुडर और विक्टोरियन स्टाइल में बंगले बनाने वाले कॉन्टैक्टर की पहचान बनाई।
बड़े-बड़े बंगले लुटियन दिल्ली की याद दिलाते हैं
हरियाली से घिरे यहां के बड़े-बड़े बंगले लुटियन दिल्ली की याद दिलाते हैं। सड़क पर सिर्फ बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज ही दिखाई दे रही हैं। थोड़ी दूर पर वेयरहम पैलेस, वो सड़क है जहां पर ट्रम्प का पैदाइशी घर है। 14 जून 1946 को इसी दो मंजिला घर में ट्रम्प पैदा हुए थे। 4 साल की उम्र तक यही रहे। लोग इस मकान को खरीदते भी हैं तो ज्यादा दिन इसमें नहीं रहते हैं।
13 साल की उम्र के बाद ट्रम्प मिलिट्री बोर्डिंग स्कूल में चले गए
2017 में ये घर 16 करोड़ रुपए में बिका था और इसके खाली होने की बात न्यूज में बनी रहती है। इस घर से दो मिनट की दूरी पर 23 बेडरूम वाला आलीशान घर है, जिसमें ट्रम्प 4 साल की उम्र में शिफ्ट हुए। इस घर के पीछे रहने वाली लॉरा बताती हैं कि ट्रम्प के लिए ये घर किले की तरह था।
एक बार आंगन में बॉल चली गई तो ट्रम्प ने लौटाने से मना कर दिया और पुलिस को बुलाने तक की धमकी दे डाली। 13 साल की उम्र के बाद ट्रम्प मिलिट्री बोर्डिंग स्कूल में चले गए। इली वॉन्ग जो कि जमैका एस्टेट के एसोशिएशन की बोर्ड मेंबर हैं।
आज जमैका एस्टेट में बांग्लादेशी,चाइनीज सब रहते हैं
बताती हैं कि आज जमैका एस्टेट में बांग्लादेशी,चाइनीज सब रहते हैं। लेकिन ट्रम्प के लड़कपन में यहां सिर्फ गोरे रहते थे। 1950 में 10.5 लाख आबादी में 96.5% गोरे थे। जमैका एस्टेट के बाहर रहने वाले शांत बताते हैं कि 50 साल में क्वीन्स में बड़ा बदलाव आया है।
सिविल राइट्स एक्ट 1964 ने रंग, नस्ल, धर्म के आधार पर होने वाले भेदभाव को गैरकानूनी बना दिया। 1968 में आए फेयर हाउसिंग एक्ट के तहत रंग, नस्ल, धर्म के आधार पर लोगों को घर बेचने या किराए पर नहीं देने को गैर कानूनी बना दिया।
इन कानूनों के लागू होने के बाद 1971 में ट्रम्प कंपनी के चेयरमैन बने और पिता के रास्ते पर ही चले। 1973 में जस्टिस डिपार्टमेंट ने ट्रम्प की कंपनी पर आपराधिक मामला दर्ज किया कि उनकी रेंटल हाउसिंग कंपनी ने अफ्रीकन अमेरिकी लोगों को घर देने में भेदभाव किया।
तब क्वीन्स में गोरों की आबादी 25.3% रह गई थी
जुलाई 2016 में जब ट्रम्प रिपब्लिकन उम्मीदवार बने तब क्वीन्स में गोरों की आबादी 25.3% रह गई थी। यासीन यमन से हैं और जमैका एस्टेट के बाहर जनरल स्टोर चलाती हैं। कहती हैं कि ट्रम्प अमेरिका को अपने बचपन का क्वींन्स बनाना चाहते हैं।
वो यह भूल गए हैं कि ये देश अप्रवासियों का बनाया हुआ है। 2016 के चुनाव में ट्रम्प को क्वीन्स से सिर्फ 21.8% वोट मिले थे। इस बार भी अप्रवासियों के गढ़ क्वीन्स में बाइडेन-हैरिस के लिए उत्साह है। ट्रम्प भले ही क्वीन्स के सबसे मशहूर बेटे हो लेकिन देखा जाए क्वीन्स ने कभी ट्रम्प को अपनाया नहीं।
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पाकिस्तान की संसद में लगे मोदी-मोदी के नारे? न्यूज चैनल का दावा पड़ताल में झूठ निकला

क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर न्यूज चैनल ‘इंडिया टीवी’ का एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान की संसद में मोदी-मोदी के नारे लगे।
न्यूज एंकर दीपक चौरसिया ने भी वीडियो इसी दावे के साथ शेयर किया।
टाइम्स नाऊ वेबसाइट की खबर में भी पाकिस्तान की संसद में मोदी के समर्थन में नारे लगने का दावा किया गया है।

और सच क्या है?
- इंडिया टीवी न्यूज चैनल के वायरल वीडियो का बैकग्राउंड साउंड क्लियर न होने के चलते हमने अन्य सोर्सेस पर यही वीडियो तलाशना शुरू किया।
- Duniya News यूट्यूब चैनल पर भी हमें यही वीडियो मिला। ध्यान से सुनने पर पता चलता है कि बैकग्राउंड से आ रहे जिस शोर को ‘मोदी-मोदी’ बताया जा रहा है। असल में वहां से ‘वोटिंग-वोटिंग’ चिल्लाने की आवाज आ रही है।
- वीडियो के 6 सेकंड बीतने पर वोटिंग-वोटिंग की आवाज आती है। इसके जवाब में संसद के सभापति ये भी कहते दिख रहे हैं कि - ‘वोटिंग और सब कुछ होगा, सब्र रखें आप’।
- साफ है कि वायरल वीडियो में पाकिस्तान की संसद से मोदी-मोदी नहीं, वोटिंग-वोटिंग की आवाज आ रही है। सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा फेक है।
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ट्रम्प हर हाल में जीतना चाहते हैं, उनकी बातों से उनके इरादों की झलक साफ मिल जाती है

अब चुनाव में काफी कम वक्त बचा है। आने वाले दिन और रातें उम्मीदों के साथ तनाव भरी भी होंगी। गुस्सा के साथ कई बार फ्रस्टेशन भी होगी। ओहियो के प्रोफेसर एडवर्ड फोले कहते हैं- जरा सोचिए। अगर ट्रम्प पॉपुलर वोट हासिल कर लें और शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण से इनकार कर दें तो क्या होगा? और ये कल्पना नहीं है। वे कई बार सार्वजनिक तौर पर इसकी धमकी भी दे चुके हैं। इस चुनाव में कुछ गंभीर विवादित चीजें हो रही हैं या होने की आशंका है। एक आशंका यह भी है कि चुनाव का फैसला कोर्ट में तय हो।
पेन्सिलवेनिया पर नजर
इस बार ज्यादातर नजरें पेन्सिलवेनिया पर हैं। कहा जा रहा है कि जो यहां जीत दर्ज करेगा वो इलेक्टोरल कॉलेज में भी बहुमत हासिल कर लेगा। इस राज्य में ट्रम्प 20 हजार वोट्स से आगे हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने एक ट्वीट में कहा था- दौड़ खत्म हो चुकी है। चार साल और अमेरिका को महान बनाने के लिए। हालांकि, जो नए आंकड़े सामने आ रहे हैं, उनमें ये साफ हो जाता है कि ट्रम्प की बढ़त कम हो रही है। ट्रम्प ने कहा था- मैं फिर जीत रहा हूं। मैं मशीनी पॉलिटिशियन नहीं हूं।
हम फिर जीतेंगे
फोले आगे कहते हैं- ट्रम्प यह दावा करते रहे हैं कि वे फिर जीत हासिल करेंगे। अगर इसी हिसाब से घटनाएं होती रहीं। पेन्सिलवेनिया में स्टेट सीनेट और हाउस में रिपब्लिकन्स का बहुमत है, तो फिर वही हो सकता है जो फोले या दूसरे लीगल एक्सपर्ट्स सोच रहे हैं। द अटलांटिक में एक लंबा आर्टिकल लिखने वाले बार्टन गेलमैन ने कहा- मेल बैलट के बारे में ट्रम्प जो कह रहे हैं उससे उनके इरादों की झलक मिल जाती है। गेलमैन को पेन्सिलवेनिया रिपब्लिकन पार्टी के चेयरमैन लॉरेन्स टेब्स कहते हैं- इस बारे में विचार हुआ है कि सभी या कुछ मेल इन बैलट रद्द किए जाएं और राज्य के इलेक्टर्स से 20 इलेक्टोरल वोट डालने को कहा जाए।
हालात बहुत अच्छे नहीं
एक और इलेक्शन एक्सपर्ट लैरी डायमंड चुनावी गणित और ट्रम्प की तरफ से जीत के दावों को सही नहीं मानते। वे इसे खतरनाक चुनावी जोड़तोड़ के तौर पर देखते हैं। वे कहते हैं- ट्रम्प बढ़त ले सकते हैं अगर सीधे वोट गिने जाएं और आधी रात को अचानक काउंटिंग बंद कर दी जाए। वे जीत भी सकते हैं। हो सकता है ब्लू स्टेट यानी डेमोक्रेट प्रभाव वाले राज्यों से आने वाले मेल इन बैलट गिने ही न जाएं। ट्रम्प इस पर भी पेन्सिलवेनिया और फ्लोरिडा में इलेक्टोरल वोटर्स का सवाल खड़ा कर सकते हैं।
तकनीकि पेंच
20 जनवरी को वाइस प्रेसिडेंट सीनेट प्रेसिडेंट के तौर पर यह कह सकते हैं कि ट्रम्प फिर चुनाव जीत गए हैं। और नैंसी पेलोसी भी कह सकती हैं कि डेडलॉक की वजह से कोई प्रेसिडेंट इलेक्ट नहीं है। वे कार्यवाहक राष्ट्रपति की बात कर सकती हैं और वो ट्रम्प ही होंगे। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के रिचर्ड हैसन सबसे खराब आशंका पर कहते हैं- अगर मुकाबला बेहद कांटे यानी लगभग बराबरी का हुआ और पेन्सिलवेनिया पर अटका तो फिर अमेरिका का भगवान ही मालिक होगा। क्योंकि, वोट काउंट के मामले में पेन्सिलवेनिया आखिरी राज्य होगा और यहां 20 इलेक्टोरल कॉलेज वोट हैं। यह हार और जीत तय करेंगे। मैं इसी संभावना के आधार पर अनुमान लगा रहा हूं।
2016 का उदाहरण
ट्रम्प पिछला चुनाव जीते और राष्ट्रपति बने। इसके बावजूद वे हजारों बार यह कह चुके हैं कि पिछले चुनाव में धांधली हुई थी। उनके मुताबिक, लाखों गैर अमेरिकियों ने भी वोट दिए थे। इसकी वजह से उन्हें पॉपुलर वोट कम मिले थे। वो विदेशी सरकारों की तरफ भी उंगली उठाते हैं। वे ये बातें उस वक्त कर रहे हैं जबकि ये साफ नजर आ रहा है कि पॉपुलर वोट्स के मामले में बाइडेन की बढ़त है। पोस्टल बैलट को वे फालतू या भार वाले वोट बताते हैं।
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जम्मू-कश्मीर: आतंकी हमले में 3 BJP नेताओं की हत्या की पीएम मोदी ने की निंदा, ट्वीट कर लिखी ये बात
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Thursday, October 29, 2020
सोशल मीडिया पर फिर छाये 'बाबा का ढाबा' वाले दंपत्ति, दिल्ली के हॉस्पिटल ने फ्री में किया इलाज, जमकर हुई वाहवाही
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हर नागरिक को मिलेगी कोरोना वायरस की वैक्सीन, कोई पीछे नहीं छूटेगा- पीएम मोदी
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26 देशों में 20 लाख लोगों के लिए काम करने वाली इस्लामिक चैरिटी बंद; इमरान बोले- एकजुट हों मुस्लिम देश

फ्रांस में हिस्ट्री टीचर की हत्या के बाद सरकार ने इस्लामिक संस्थाओं पर शिकंजा कसना काफी तेज कर दिया है। बुधवार को यहां बाराकासिटी नाम के एक इस्लामिक चैरिटी ऑर्गनाइजेशन को बंद कर दिया गया। यह संस्था 26 देशों में करीब 20 लाख लोगों के लिए काम करती थी। फ्रांस सरकार और राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने कुछ दिन पहले कहा था कि इस्लामिक कट्टरपंथ पर सख्ती से प्रहार किया जाएगा।
दूसरी तरफ, फ्रांस में इस्लाम के अपमान के विरोध में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का बयान भी आया। उन्होंने कहा- फ्रांस में इस्लामाम के खिलाफ जो कुछ हो रहा है, उसके विरोध में सभी मुस्लिम देशों को एक हो जाना चाहिए।
संस्था ने खुद दी जानकारी
बाराकासिटी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर बताया कि फ्रांस सरकार ने इस चैरिटी ऑर्गनाइजेशन को तुरंत प्रभाव से बंद कर दिया है। उसने ये भी कहा कि वो अब उस देश से ऑपरेट करना पसंद करेगी जहां उसे राजनीतिक शरण मिलेगी। संस्था के फाउंडर इदरिस शिमेदी ने तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन से मदद मांगी है। इदरिस ने ट्वीट में कहा- मैं और मेरी टीम आपके देश में राजनीतिक शरण लेना चाहते हैं। क्योंकि, फ्रांस में हम महफूज नहीं हैं।
नफरत फैला रहा थी संस्था
फ्रांस के गृहमंत्री गेराल्ड डारमेनियन ने बाराकासिटी पर गंभीर आरोप लगाए। कहा- हमारी सरकार ने सही फैसला किया है। बाराकासिटी फ्रांस में नफरत, इस्लामिक कट्टरपंथ फैला रही थी। वो आतंकियों की हरकतों की तारीफ करती थी। ऐसी किसी संस्था को इस देश में रहने का हक नहीं है। हालांकि, संस्था ने गेराल्ड के आरोप खारिज कर दिए। कहा- आपकी इंटेलिजेंस एजेंसियों के पास हमारे खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं। संस्था के फाउंडर शिमादी को कुछ दिन पहले गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि फ्रांस की एंटी टेरेरिज्म फोर्स ने उनकी काफी पिटाई भी की थी।
इमरान की अपील
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने मुस्लिम देशों के राष्ट्राध्यक्षों को एक लेटर लिखा। इसमें उनसे कहा- फ्रांस में मुस्लिमों के खिलाफ जो कुछ हो रहा है, वो दुनिया में इस्लामोफोबिया फैलाने की साजिश है। इसके खिलाफ सभी मुस्लिम देशों को एकजुट होने की जरूरत है। इसकी जरूरत खासतौर पर यूरोप में है। फ्रांस में मुस्लिमों के खिलाफ सरकार की कार्रवाई पिछले दिनों तब शुरू हुई जब एक लड़के ने एक हिस्ट्री टीचर की गला रेतकर हत्या कर दी। टीचर पर आरोप था कि उसने क्लास में इस्लाम का अपमान करने वाला चित्र दिखाया था।
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Bihar Elections 2020: बोले चिराग पासवान- ' CM नीतीश कुमार की हार तय, राज्य में बनेगी BJP-LJP की सरकार'
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US Election 2020: राष्ट्रपति चुनावों में अब बस 5 दिन, जो बाइडेन ने डाला अपना वोट
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देश में 24 घंटों के भीतर मिले कोरोना के 49881 नए केस, कुल मामले 80 लाख के पार हुए
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NIA की श्रीनगर और दिल्ली में 9 जगहों पर छापेमारी, फलाह-ए-आम ट्रस्ट सहित 6 संगठनों पर दबिश
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दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के खात्मे के लिए होगा आयोग का गठन, केंद्र सरकार के अध्यादेश को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी
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ट्रम्प ने कहा- बाइडेन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, सोशल और मेन स्ट्रीम मीडिया इन्हें दबाने में लगा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मीडिया पर आरोप लगाया है कि वो डेमोक्रेट कैंडिडेट जो बाइडेन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को तवज्जो नहीं दे रहा। ट्रम्प के मुताबिक, मेनस्ट्रीम, प्रिंट और सोशल मीडिया बाइडेन के करप्शन को उजागर नहीं कर रहे हैं। ट्रम्प ने कहा- यह अनुभव बताता है कि अमेरिका में मीडिया को दबाने की कोशिश हो रही है। यह पहली बार नहीं है जब ट्रम्प ने मीडिया को लेकर नाराजगी जाहिर की हो। कुछ दिन पहले उन्होंने कहा था कि मैं सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात सही तरीके से लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करता हूं क्योंकि मेनस्ट्रीम मीडिया पक्षपात कर रहा है।
मीडिया पर तंज
एरिजोना की एक रैली में ट्रम्प ने कहा- एक व्यक्ति जो फंस चुका है, आरोपों से घिरा है। मीडिया उसके बारे में नहीं लिखना चाहता। वे लोग इसे मीडिया की आजादी बताते हैं, लेकिन खुद ही इसे दबाने में लगे हैं। ट्रम्प का इशारा जो बाइडेन के बेटे हंटर की तरफ था। हंटर पर रिपब्लिन पार्टी और ट्रम्प करप्शन के आरोप लगाते रहे हैं। ट्रम्प का आरोप है कि ओबामा के दौर में जब बाइडेन उप राष्ट्रपति थे तब और उसके बाद भी हंटर को रूस, चीन और यूक्रेन से पैसे मिले। बाइडेन का परिवार इससे इनकार करता रहा है।
प्रेस को आजादी नहीं
ट्रम्प ने आगे कहा- हमारे पास प्रेस की आजादी नहीं है। और ईमानदारी से कहूं तो ये शर्म की बात है। डेमोक्रेट्स करप्ट पार्टी के तौर पर जाने जाते हैं। उन्हें हंटर का वो लैपटॉप दिखाई नहीं देता, जिसमें सबूत मौजूद हैं। इसमें तो सोना है। मैंने ऐसा लैपटॉप कभी और कहीं नहीं देखा। लेकिन, वे (मीडिया) इसे देखना ही नहीं चाहते। बाइडेन ने हमारी नौकरियां चीन को सौंप दीं। उनके चीन से कारोबारी रिश्ते हैं। यही चीन हमारे कारोबार, हमारी फैक्ट्रियां और वर्कर्स को नुकसान पहुंचा रहा है।
अनजान प्लेन से दहशत
ट्रम्प जब रैली कर रहे थे, उसी वक्त अफसरों को जानकारी मिली कि रैली स्थल की तरफ एक अनजान प्लेन बढ़ रहा है। इससे कुछ देर के लिए दहशत जैसा माहौल बन गया। हालांकि, समर्थकों का हौसला बढ़ाते हुए ट्रम्प ने कहा- यूएस आर्मी मुझे कुछ दिखाना चाहती है। यह सिर्फ चार दिन पुराना प्लेन है। हमारे पास नए और बेहतरीन एफ-35 एयरक्राफ्ट्स हैं। इस दौरान ट्रम्प के समर्थकों ने यूएसए के नारे लगाए। ट्रम्प ने फिर मजाकिया लहजे में कहा- आप शायद जानते नहीं कि ये प्लेन मैंने कैसे हासिल किए। इसके लिए डेमोक्रेट्स ने पैसे दिए। जरा देखिए तो इस शानदार नजारे को।
खास बात ये है कि एफ 35 को ट्रम्प ने सही नहीं पहचाना। वास्तव में ये एफ-16 एयरक्राफ्ट था। कुछ दिन पहले मिशिगन की रैली में भी ट्रम्प का मजाक उड़ा था। तब उन्होंने हायपरसोनिक मिसाइल को कई बार ‘हायड्रोसोनिक’ मिसाइल बताया था।
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BJP नेता की हत्या पर बवाल, पार्टी ने किया 12 घंटे के लिए 'बंगाल बंद' का आह्वान
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US Presidential Election 2020: जो बाइडेन बोले-आसानी से खत्म नहीं होगा कोरोना वायरस
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'भारत को आजाद रहने दीजिए, सीमा पार मत कीजिए', जानिए सुप्रीम कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार को क्यों लगाई फटकार
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एक हफ्ते में कोरोना के 20 लाख से अधिक मामले सामने आए, WHO ने कही बड़ी बात
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दिल्ली की हवा बेहद खराब, AQI पहुंचा 400 के पार, गंभीर' स्थिति में पहुंची वायु गुणवत्ता
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MP By-Polls: बीजेपी की चुनाव आयोग से अपील, कमलनाथ की रैली और सभाओं पर लगाई जाए रोक
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फ्रांस के बाद जर्मनी में सख्त लॉकडाउन की तैयारी, चीन में दो महीनों में सबसे ज्यादा मामले

दुनिया में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 4.44 करोड़ से ज्यादा हो गया है। 3 करोड़ 27 लाख 02 हजार 064 मरीज रिकवर हो चुके हैं। अब तक 11.78 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। फ्रांस के बाद जर्मनी में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। यहां सरकार ने आंशिक लॉकडाउन लगा दिया है। लेकिन, मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि जल्द ही सख्त लॉकडाउन लगाया जा सकता है।
जर्मनी में भी सख्त प्रतिबंधों की तैयारी
यूरोप के देश संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहे हैं। फ्रांस ने एक महीने का सख्त लॉकडाउन लगाया। जर्मनी ने पार्शियल यानी आंशिक लॉकडाउन का ऐलान किया। लेकिन, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि जल्द ही एंजेला मर्केल सरकार सख्त लॉकडाउन लगाने जा रही है। इसकी वजह देश में बढ़ता संक्रमण और लोगों का सावधानी न बरतना है। सरकार की कोशिश है कि संक्रमण एक घर से दूसरे घर तक न पहुंच सके। 10 लोगों से ज्यादा एक स्थान पर नहीं जुट सकेंगे। कुल 16 शहरों में सख्त प्रतिबंध रहेंगे। सरकार ने कहा है कि बहुत जरूरी न होने पर लोग यात्रा करने से बचें। इसकी वजह से दिक्कतें बढ़ सकती हैं।

साउथ अफ्रीकी प्रेसिडेंट आईसोलेशन में
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा सेल्फ आईसोलेशन में चले गए हैं। शनिवार को रामफोसा एक डिनर में शामिल हुए थे। इस डिनर में शामिल एक शख्स को बाद में संक्रमित पाया गया। हालांकि, राष्ट्रपति के प्रेस सेक्रेटरी ने साफ कर दिया कि रामफोसा में फिलहाल किसी तरह के लक्षण नहीं देखे गए हैं। लेकिन, इसके बावजूद उन्हें ऐहतियातन आईसोलेट होने को कहा गया है।
चीन में 47 नए मामले
चीन में बुधवार को एक दिन में 47 नए मामले सामने आए। यह दो महीने में सबसे ज्यादा केस हैं। अब सरकार ने कहा है कि वो इसे संक्रमण की दूसरी लहर की तरह देख रही है और इसे रोकने के लिए सख्त उपाय किए जाएंगे। फिलहाल, सरकार की सबसे बड़ी फिक्र इस बात को लेकर है कि लोकल ट्रांसमिशन के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। नेशनल हेल्थ अथॉरिटी ने बुधवार रात जारी बयान में कहा- 23 मामले स्थानीय संक्रमण के हैं और यह परेशानी पैदा करने वाले हैं।

फ्रांस में दूसरा लॉकडाउन
फ्रांस में संक्रमण की दूसरी लहर को देखते हुए सरकार सतर्क हो गई है। बीबीसी के मुताबिक, राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने देश में दूसरी बार लॉकडाउन लगा दिया है। लॉकडाउन पूरे नवंबर के लिए रहेगा। नया प्रतिबंध शुक्रवार से शुरू होगा। लोगों को केवल जरूरी कामों या मेडिकल इमरजेंसी में ही घर से निकलने की इजाजत होगी। इस दौरान रेस्टोरेंट और बार बंद रहेंगे, लेकिन स्कूल और फैक्ट्रियां खुली रहेंगी। देश में अब तक करीब 12 लाख संक्रमित मिल चुके हैं और 35,541 लोगों की मौत हो चुकी है।
अमेरिका में एक हफ्ते में 5600 संक्रमितों की मौत
अमेरिका में चुनाव बिल्कुल सिर पर है, लेकिन यहां कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एक हफ्ते में पांच लाख से ज्यादा नए संक्रमित मिले हैं। इसी दौरान 5600 संक्रमितों की मौत हो गई। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने यह जानाकारी दी है। कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य इलिनॉइस है। 31 हजार मामले इसी राज्य में सामने आए। पेन्सिलवेनिया और विस्कॉन्सिन में भी हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। विस्कॉन्सिन के हेल्थ इंचार्ज आंद्रे पॉम ने कहा- हम चाहते हैं कि चुनाव के लिए मतदान के दौरान कोरोना दिक्कत न बने। इसके लिए हर जरूरी व्यवस्था की जा रही है।
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भारत के डर से अभिनंदन की रिहाई, BJP प्रवक्ता का राहुल पर तंज', एयरस्ट्राइक पर सवाल उठाए थे, देखिए मोदीजी का कितना खौफ'
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फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों का भारत ने किया समर्थन, व्यक्तिगत हमलों की कड़ी शब्दों में की निंदा, जानें पूरा विवाद
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व्यक्तित्व विकास के नाम पर सेक्स स्लेव बनाने वाले को 120 साल की जेल; 13 करोड़ जुर्माना

अमेरिका में एनएक्सआईवीएम सेक्स पंथ के फाउंडर कैथ रेनियर को 120 साल की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने 13 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया। कानून द्वारा जुर्माने की यह अधिकतम सीमा है। रेनियर को सेक्स ट्रैफिकिंग, चाइल्ड पोर्नोग्राफी सहित कई मामलों में मंगलवार को सजा सुनाई गई। रेनियर महिलाओं को कम खाना देता था और यौन गुलाम बनाता था। उनके शरीर पर पहचान या फैशन के लिए हमेशा रहने वाले विभिन्न तरह के निशान या टैटू बनवाता था।
अमेरिकी जिला जज निकोलस गरौफिस ने ब्रूकलिन में सुनवाई की, जहां एनएक्सआईवीएम के 15 पूर्व सदस्यों ने रेनियर के खिलाफ अपनी बात रखी। सुनवाई के बाद गरौफिस ने कहा, ‘पीड़ितों ने जो दर्द सहा है उसको कोई शब्द बयां नहीं कर सकता।’ 2018 तक इस पंथ में 16 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए थे।
एनएक्सआईवीएम: 5 दिन के एंट्री कोर्स की फीस 2 लाख रुपए
रेनियर ने 1998 में एनएक्सआईवीएम नाम की मल्टीलेवल मार्केटिंग कंपनी बनाई। इसके जरिए वह लोगों को व्यक्तित्व और व्यावसायिक विकास की ट्रेनिंग देता था। इसमें डॉस नाम की एक सीक्रेट सोसाइटी के लिए रिक्रूटमेंट होता था। ग्रुप दावा करता था कि यह लोगों को उनके डर, निराशा और लिमिटेड क्षमताओं से आगे ले जाएगा।
गवाह महिलाओं के मुताबिक, इसमें शामिल होने के बाद सेक्स के लिए कहा जाता था। फिर फोटो-वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किया जाता था। रेनियर उनके दिमाग कोे भ्रमित करता था। पंथ का पहला एंट्री कोर्स 5 दिन का था, जिसकी फीस 2 लाख रुपए थी।
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पिछली बार ट्रम्प की जीत का फैक्टर बने थे, अब बाेले-मेरे कारण ट्रम्प जीते तो दुख होगा

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए हो रहे चुनाव में होवी हॉकिंस ग्रीन पार्टी के उम्मीदवार हैं। िपछले चुनाव में वे ट्रम्प की जीत का फैक्टर बने थे। उनकी पार्टी को 50 में से 46 राज्यों के मतपत्रों में प्रतिनिधित्व प्राप्त है। हालांकि इस बार वे ट्रम्प और बाइडेन दोनाें के विरोध में हैं। वे मानते हैं कि दोनों उम्मीदवारों की पार्टियां जनहित में काम में सक्षम नहीं हैं। पढ़िए रितेश शुक्ल से उनकी चर्चा के संपादित अंश :
- पूरा चुनाव ट्रम्प-बाइडेन पर केंद्रित है, फिर आपकी पार्टी कहां खड़ी है?
रिपब्लिकन हो या डेमोक्रेट, दोनों पार्टियां कॉर्पोरेट अमेरिका और युद्ध उद्योग की हिमायती हैं। मीडिया भी इनका माउथपीस बनकर रह गया है। आज चर्चा का बड़ा मुद्दा यह है कि बाइडेन और ट्रम्प में से कौन अमेरिका के लिए बेहतर है। मैं कहता हूं कि पहले यह तो तय हो कि अमेरिका कौन है। कॉर्पोरेट और वॉर मशीनरी से जुड़े व्यापारी अमेरिका हैं तो बाइडेन बेहतर हैं क्योंकि उनका व्यवहार सभ्य है। पर पॉलिसी के स्तर पर तो ट्रम्प-बाइडेन में अंतर है ही नहीं।
- आपकी नजर में अमेरिका कौन है?
हम किराए के मकान में रहने वाले लोगों, मध्यवर्गीय परिवारों, आम सैनिकों, बच्चों, महिलाओं व गरीब बीमार बुजुर्गों को अमेरिका मानते हैं और तो दोनों ही बेहतर नहीं हैं। ट्रम्प या बाइडेन में से कोई भी राष्ट्रपति बने, जनता की समस्याएं हल नहीं होंगी।
- लोग कहते हैं कि आप डेमाेक्रेटिक पार्टी के वोट काटकर ट्रम्प की मदद करेंगे?
ट्रम्प 40 साल से कॉर्पोरेट और व्यक्तिगत अपराध में सने हुए हैं। ट्रम्प जैसा श्वेत व्यक्ति ही अपराधों के बावजूद खुले में घूम सकता है। हमारी पार्टी नस्लवादी तानाशाह प्रवृत्ति के ट्रम्प और कॉर्पोरेट अधीन डेमोक्रेट का विरोध करती है। इसलिए हम अलग चुनाव लड़ रहे हैं। हमारे पक्ष में पड़ने वाले वोट के कारण ट्रम्प जीतते हैं तो हमें दुख होगा।
हाॅकिंस इसलिए वाेट काटेंगे
हॉकिंस की मौजूदगी 73% वोटरों में है। 538 में से 380 इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य चाहें तो हॉकिंस को वोट कर सकते हैं। ऐसे वोटर जो बाइडेन-ट्रम्प दोनाें को पसंद नहीं करते, वे भी उन्हें वोट कर सकते हैं।
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पोलिंग बूथ हटाए जा रहे, फर्जी ड्रॉप बॉक्स रखे और गलत बैलेट पेपर भेज हो रही धांधली

कोरोना के कारण इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में 7 करोड़ लोग पहले ही वोट डाल चुके हैं। यह 2016 में पड़े कुल वोट का 50% है। इन सबके बीच चुनाव को प्रभावित करने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। राज्य सरकारें फाइनल वोटिंग से पहले उन जगहों से पोलिंग बूथ हटवा रही हैं, जहां उन्हें खुद की पार्टी के जीतने की संभावना कम दिखती हैं।
मतदाताओं को बड़ी संख्या में गलत मतपत्र भेजे जा रहे हैं। फर्जी बैलेट ड्रॉप बॉक्स लगाने की भी खबरें आई हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर ए. शिक्लर बताते हैं कि आज की परिस्थिति में विदेशी ताकतों से ज्यादा खतरा देश में पनप रही उद्दंडता से है। पूरी कोशिश हो रही है कि ज्यादा से ज्यादा लोग वोट न दे पाएं।
वहीं एबसेंटी बैलेट के कानून ऐसे हैं कि वे भी तकनीकी कारणों से खारिज किए जा सकते हैं। टेक्सास जैसे रिपब्लिकन राज्यों की सरकारों ने हर काउंटी में एक ही पोलिंग स्टेशन का कानून बनाया है। यह स्पष्ट करता है कि लोगों के वोट डालने के रास्ते में अड़चनें पैदा की जा रही हैं।
ये वोटर्स को दबाने, वोट देने से रोकने और प्रक्रिया में बाधा डालने जैसे कदम हैं। यहीं नहीं, ज्यादातर पोल में बाइडेन से पीछे चल रहे राष्ट्रपति ट्रम्प और उनकी रिपब्लिकन पार्टी चुनाव को फर्जी साबित करने में लगी है। नजदीकी मुकाबलों में हर वोट मायने रखता है।
डाक से भेजे गए मतों की गिनती करने में 1 से 2 हफ्ते लग जाते हैं। ट्रम्प इन मतपत्रों की गिनती को गैरकानूनी बता रहे हैं। चुनाव विशेषज्ञ इसे चुनाव में हस्तक्षेप का सबसे बड़ा उदाहरण मान रहे हैं।
विदेशी हस्तक्षेपः ईरान और रूस द्वारा भेजे मेल में ट्रम्प को हराने की अपील
21 अक्टूबर को अमेरिका के इंटेलीजेंस डायरेक्टर जॉन रैटक्लिफ ने कहा कि रूस और ईरान ने अमेरिकी वोटर की लिस्ट चोरी कर ली है। वोटर्स को फर्जी वोट भेजकर डराया जा रहा कि वे ट्रम्प को वोट न दें। हालांकि इसके कोई प्रमाण नहीं हैं कि फर्जी ईमेल का वोटर्स पर क्या प्रभाव पड़ता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 3 नवंबर के बाद डाक से मिलने वाले वोटों की गिनती रोकी
विस्कोंसिन की कोर्ट ने आदेश दिया था कि डाक से भेजे गए वोट 3 नवंबर के बाद भी मिलते हैं तो उनकी गिनती होगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इससे राज्य के बचे 4 लाख वोटर्स में से 1 लाख वोट नहीं डाल सकेंगे। 2016 में ट्रम्प यहां 22,748 वोट से जीते थे।
प्रशासनः गलत मतपत्र भेजे और 21 हजार पोलिंग बूथ तक हटवा लिए
लोगों को गलत मतपत्र भेजे जा रहे हैं। न्यूयॉर्क शहर में ही 1 लाख लोगों को गलत मतपत्र मिले हैं। जिन पर उनके नाम और पते गलत थे। इससे वोटिंग में देरी हो रही है। यहीं नहीं विस्कोंसिन में 21 हजार पोलिंग स्टेशन 21 अक्टूबर तक हटा लिए गए थे। यहां गरीब और अश्वेत आबादी की बहुलता है।
रिपब्लिकन पार्टी ने खुद माना कि उसने फर्जी ड्राप बॉक्स लगवाए
डेमोक्रेटिक के गढ़ कैलिफोर्निया में रिपब्लिकन पार्टी ने माना कि उन्होंने सर्वाधिक आबादी वाले इस राज्य में आधिकारिक तौर पर डाले जा रहे वोट को प्राप्त करने के लिए फर्जी बैलेट ड्रॉप बॉक्स रखे थे। एक्सपर्ट के मुताबिक, यह कदम गैरकानूनी और धोखाधड़ी को बढ़ावा देने वाला है।
- इतिहास बताता है कि जब भी वोटर टर्नआउट बढ़ता है इससे रिपब्लिकन पार्टी को नुकसान होता है। इसलिए ट्रम्प और उनकी पार्टी हर संभव प्रयास कर रही है कि कम से कम वोट पड़े। विशेषज्ञ इसे चुनावी धांधली बता रहे हैं।
आयोग में कमिश्नर के 6 में 3 पद खाली, कार्रवाई के लिए चार जरूरी
अमेरिका में धांधली और विदेशी हस्तक्षेप के मामले में चुनाव आयोग कोई कार्रवाई नहीं कर सकता है। यहां तक ट्रम्प के धांधली के आरोपों पर भी चुनाव उन्हें नोटिस तक नहीं भेज सकता है। क्योंकि अमेरिकी चुनाव में आचार संहिता जैसी कोई व्यवस्था नहीं है। ये कहना है अमेरिका के केंद्रीय चुनाव आयोग के सबसे अनुभवी कमिश्नर एलेन विनट्राब का। विनट्राब नें चिंता जताई कि मौजूदा चुनाव में चुनाव आयोग की स्थिति दयनीय है, क्योंकि आयोग में कमिश्नर के 6 पदों में से 3 खाली हैं।
आयोग किसी मुद्दे पर कोई निर्णय ले सके, इसके लिए 4 कमिश्नर का होना जरूरी है। मतलब यह है कि अगर कोई चुनावी फंडिंग, धांधली को लेकर शिकायत दर्ज करता है तो आयोग तब तक कोई कार्रवाई नहीं कर सकता जब तक कोरम पूरा न हो जाए।
अमेरिका के केंद्रीय चुनाव आयोग (एफईसी) की जिम्मेदारी बस इतनी है कि वह चुनाव में सीधे तौर पर दिए गए चंदे कि निगरानी करे। मई 2020 तक प्रचार की फंडिंग से संबंधित 350 शिकायतें आयोग प्राप्त कर चुका है।
2016 में रूस ने चीफ ऑफ स्टाफ का मेल हैक कर दखलंदाजी की थी
2016 में रशियन सिक्योरिटी सर्विसेज के हैकरों ने व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ और हिलेरी क्लिंटन के चुनावी कैंपेन के चेयरमैन जॉन पोडेस्टा का ईमेल हैक कर लिया था। इन हैकरों ने उनके मेल से 20 हजार पन्ने प्राप्त किए थे, जिन्हें विकीलीक्स ने चुनाव से पहले सार्वजनिक कर दिए थे। सोशल मीडिया पर भी विदेशी खुफिया एजेंसियों ने फर्जी खबरों की बाढ़ ला दी थी।
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कोरोना काल में बढ़े यूजर्स, हम हर दिन औसतन 7 घंटे इंटरनेट पर बिता रहे; दुनिया का वक्त जोड़ें तो हर रोज 10 लाख साल

दुनिया की आबादी करीब 800 करोड़ है। इनमें से 466 करोड़ लोग यानी करीब 60% आबादी इंटरनेट चला रही है। इनमें से 70 करोड़ भारत में हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल में लोग इंटरनेट पर ज्यादा वक्त बिताने लगे हैं।
इंटरनेट यूजर्स का स्क्रीन टाइम करीब एक घंटा बढ़ गया है। आज हम हर दिन औसतन 7 घंटे इंटरनेट पर बिता रहे हैं। अगर पूरी दुनिया का इंटरनेट पर बिताया जाने वाला वक्त जोड़ें, तो यह हर दिन 10 लाख साल के बराबर होता है।
- दुनिया इंटरनेट यूजर्स 1 साल में 32.1 करोड़ यानी 7.4% बढ़े। दुनिया की आबादी 1% बढ़ी।
- 18 करोड़ लोग जुलाई से सितंबर तक सोशल मीडिया से जुड़े, यानी हर दिन करीब 20 लाख।
- भारत इंटरनेट यूजर्स एक साल में 23% बढ़े। ज्यादातर इंटरनेट यूजर्स की उम्र 16 से 64 साल।
- 91% यूजर्स अपने मोबाइल पर इंटरनेट चलाते हैं। अन्य लोग कंप्यूटर या अन्य साधनों पर चलाते हैं।
दुनिया में हर सेकंड 14 लोग इंटरनेट से जुड़ते हैं
- 2.29 घंटे हम औसतन रोज सोशल मीडिया पर बिता रहे हैं।
- अक्टूबर 2019 से अक्टूबर 2020 तक 45 लाख से ज्यादा यूजर्स सोशल मीडिया पर एक्टिव हुए हैं।
- इसमें सालाना 12% की ग्रोथ दर्ज की गई है। हर सेकंड करीब 14 लोग इंटरनेट से जुड़ रहे हैं।
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दूसरी बार प्रेसिडेंट बनना चाह रहे ट्रम्प के पास सिर्फ नारे, वोटर्स को बताने के लिए कोई एजेंडा नहीं

डोनाल्ड ट्रम्प पांच साल पहले गोल्डन एस्केलेटर के जरिए सियासत में दाखिल हुए और प्रेसिडेंशियल कैम्पेन चलाया। उन्होंने कहा था- मैं ओबामाकेयर के बड़े झूठ का पर्दाफाश करूंगा। एक बड़ी दीवार बनाउंगा, जैसी पहले किसी और ने नहीं बनाई होगी। इसके लिए मैक्सिको को भी पैसा देना होगा। ट्रम्प फिर मैदान में हैं, लेकिन कुछ नहीं बदला। अब उनके सलाहकार उन्हें दूसरी पारी के लिए नए सुझाव दे रहे हैं। मिशन टू मार्स और दुनिया का सबसे बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर सिस्टम आदि। ये सिर्फ बातें और दावे हैं। इनकी कहीं कोई डिटेल नहीं। जॉर्ज बुश इसे विजन कहते थे।
फिर वही स्लोगन
ट्रम्प ने पिछले चुनाव में जो वादे किए थे, वे इस बार भी वही हैं। मेक अमेरिका ग्रेट अगेन। खास बात ये है कि ट्रम्प के कुछ समर्थकों को भी नहीं मालूम कि उनका अगले टर्म के लिए प्लान क्या होगा। 20 साल के कायला बर्न्स कहते हैं- मुझे उनके वादों या इरादों के बारे में जानकारी नहीं। मैं बस उनको वोट देना चाहता हूं। चार साल के कार्यकाल में ट्रम्प ने सियासी और राष्ट्रपति के तौर पर कई परंपराएं तोड़ीं, नियम तोड़े। लेकिन, अब भी वे ये नहीं बता पाते कि उन्हें चार साल और मिले तो वे क्या करेंगे।
सिर्फ बाइडेन पर फोकस
ट्रम्प अब भी उसी रास्ते पर चल रहे हैं, जिस पर पहले चल रहे थे। कोरोनावायरस के आने से पहले जो हालात थे, ट्रम्प उसका क्रेडिट खुद ले रहे हैं। उनका पूरा फोकस जो बाइडेन को निशाना बनाने पर है। महामारी से वे बेफिक्र नजर आते हैं। संक्रमण बढ़ रहा है, राष्ट्रपति कहते हैं कि ये कम हो रहा है, खत्म होने वाला है। प्रेसिडेंट हिस्ट्री के जानकार डगलस ब्रिंकले कहते हैं- मैंने पहले कभी ऐसा नहीं देखा। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाले को अपना चार साल का प्लान बताना ही होता है। ट्रम्प इसका पालन नहीं कर रहे हैं। ट्रम्प ये भी नहीं बता पा रहे हैं कि देश को महामारी से कैसे निकालेंगे।
तब तस्वीर ज्यादा साफ थी
2016 में बातें और दावे ज्यादा साफ थे। आप ये नहीं कह सकते कि एक वर्तमान राष्ट्रपति वॉशिंगटन में पॉलिटिकल आउटसाइडर है। रिपब्लिकन स्ट्रैटेजिस्ट ब्रैड टॉड कहते हैं- मेरा अनुभव तो ये कहता है कि वोटर आपको राष्ट्रपति बनाकर जिम्मेदारी सौंपते हैं। ये आखिरी जॉब नहीं होता। टम्प डेमोक्रेट्स को कट्टर वामपंथी कहते हैं और दावा करते हैं कि चुनाव तो हर हाल में वो ही जीतेंगे। उनके समर्थक भी परेशान हैं। वे भी नहीं समझा पा रहे हैं कि राष्ट्रपति महामारी और इकोनॉमी को लेकर क्या कहना और क्या करना चाहते हैं। उन्हें भी ट्रम्प का एजेंडा खोखला नजर आने लगा है।
स्विंग स्टेट्स में फिक्र ज्यादा
स्विंग स्टेट्स के रिपब्लिकन समर्थक भी चाहते हैं कि राष्ट्रपति इकोनॉमिक रिकवरी पर बोलें। कम से कम प्रचार के अंतिम दौर में तो ये बताएं कि उनकी रणनीति क्या होगी। लेकिन, ट्रम्प ये भी नहीं कर पा रहे हैं। हालिया, पोल्स भी बताते हैं कि इलेक्शन के मुद्दों पर ट्रम्प पीछे हैं। वोटर्स भी बंट रहे हैं कि क्या ट्रम्प इकोनॉमी को संभाल पाएंगे। 2016 में उनकी कैम्पेन मैनेजर रहीं कैलीन कॉन्वे कहती हैं कि ट्रम्प इकोनॉमिक रिकवरी और वैक्सीन डेवलपमेंट का तरजीह देंगे।
समर्थकों के तर्क
ट्रम्प के कुछ समर्थक ऐसे भी हैं जो ये दावा करते हैं कि राष्ट्रपति ने पहले ही काफी काम किया है और उनसे आप कितनी और अपेक्षा रखते हैं। 55 साल की डायना कॉन्वेरेसा कहती हैं- ट्रम्प वही कर रहे हैं, जो उन्हें करना चाहिए। यानी अपना काम। ओहियो के जॉन टेनोरी वकील हैं। वे कहते हैं- ट्रम्प का एजेंडा सिर्फ अपने आर्थिक हित देखना है। फिर चाहे इसके लिए पुतिन से ही मदद क्यों न लेना पड़े। एक रिटायर्ड सोशल वर्कर पैटी जॉर्डन कहती हैं- मुझे राष्ट्रपति में किसी बदलाव की उम्मीद नजर नहीं आती। देश की जिम्मेदारी लेने से वो भागते हैं।
नीतियां तो बतानी होंगी
आमतौर पर दोबारा मैदान में आने वाले राष्ट्रपति अपना एजेंडा साफ करते हैं। बिल क्लिंटन ने कहा था कि वे 21वीं सदी के लिए रास्ता तैयार कर रहे हैं। जॉर्ज बुश ने दुनिया को महफूज करने और अमेरिकी आशावाद का नारा दिया था। बराक ओबामा ने विकास का सूत्र दिया था। बुश के दौर में व्हाइट हाउस में पॉलिटिकल डायरेक्टर रह चुकीं सारा फेगन कहती हैं- ट्रम्प अगर अगले टर्म के लिए एजेंडा पेश करते हैं तो वे फायदे में रहेंगे। उन्हें ये बताना चाहिए कि उनके और बाइडेन की नीतियों में क्या फर्क रहेगा। लोग इसे समझना चाहते हैं।
ट्रम्प इरादे जाहिर कर चुके हैं
अगस्त में ट्रम्प ने न्यूयॉर्क टाइम्स को एक इंटरव्यू दिया था। इसमें ईमानदारी से सेकंड टर्म के बारे में बात की थी। उनसे पूछा गया था कि अगर अगर वोटर्स उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए चुनते हैं तो उनका बर्ताव कैसा रहेगा? इस पर उन्होंने कहा था- पहले जैसा ही।
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Wednesday, October 28, 2020
बिहार चुनाव: दरभंगा में पीएम मोदी की रैली, जानिए उनके भाषण की बड़ी बातें
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भूमि कानूनों में हुए बदलाव पर उमर अब्दुल्ला का Tweet- 'अब J&K बिकने के लिए तैयार'
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मुंगेर घटना को लेकर चिराग का हमला, कहा- जनरल डायर की भूमिका निभा रहे हैं नीतीश कुमार
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क़तर ने महिला यात्रियों के कपड़े उतरवाकर जांच पर मांग माफ़ी
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क्या बच्चों को स्कूल से ही कंप्यूटर कोडिंग सीखने की ज़रूरत है
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US Presidential Election: चुनावों से एक हफ्ते पहले हैक हुई डोनाल्ड ट्रंप की कैंपेन वेबसाइट
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अब 'Pride Station' के नाम से जाना जाएगा नोएडा सेक्टर 50 मेट्रो स्टेशन, ट्रांसजेंडर करेंगे संचालन
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कश्मीर के बडगाम में मुठभेड़, दो आतंकियों को सेना ने किया ढेर
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फ्रांस से 5 नवंबर को सीधा अंबाला में लैंड करेंगे 3 और राफेल जेट, इस बार बिना रुके आएंगे भारत
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Munger: मतदान के बीच तेजस्वी यादव ने मुंगेर घटना पर JDU-BJP को घेरा, PM-CM से मांगा जवाब
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IPL 2020: ऋद्धिमान साहा के सहारे पॉन्टिंग को पस्त कर गए वॉर्नर
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आर्मी चीफ जनरल नरवणे 4 नवंबर को नेपाल पहुंचेंगे, पिछले हफ्ते रॉ चीफ गोयल काठमांडू गए थे

आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे तीन दिन के नेपाल दौरे पर 4 नवंबर को काठमांडू पहुंचेंगे। 5 नवंबर को उन्हें नेपाल आर्मी के ऑनरेरी (मानद) जनरल की उपाधि से सम्मानित किया जाएगा। भारत और नेपाल के बीच अप्रैल से अगस्त के बीच सीमा विवाद को लेकर काफी बयानबाजी हुई थी। इसकी वजह से दोनों देशों में कुछ तनाव की स्थिति भी बनी थी। पिछले हफ्ते रॉ चीफ सामंत कुमार गोयल ने काठमांडू का दौरा किया था। इस पर नेपाल में काफी कयास लगाए गए थे।
नेपाल आर्मी चीफ ने न्योता दिया
‘काठमांडू पोस्ट’ के मुताबिक, जनरल नरवणे 4 नवंबर को काठमांडू पहुंचेंगे। यहां उनको नेपाल के आर्मी चीफ जनरल पूर्ण चंद्र थापा रिसीव करेंगे। इसके बाद दोनों सेनाध्यक्षों के बीच बातचीत होगी। नरवणे नेपाल के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और रक्षा मंत्री से भी मुलाकात कर सकते हैं। हालांकि, इस बारे में अभी आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। ऑनरेली जनरल की उपाधि उन्हें राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी प्रदान करेंगी। नेपाल अर्मी ने एक बयान में इसकी पुष्टि की है।
नरवणे के बयान से नाराज हो गया था नेपाल
मई में भारत ने लिपुलेख और धारचूला के बीच एक नई सड़क का निर्माण किया था। नेपाल ने इसका विरोध किया था। नेपाला का दावा था कि लिपुलेख और धारचूला उसका क्षेत्र है और भारत ने यहां सड़क बनाकर संधि का उल्लंघन किया है। भारत ने नेपाल के दावे को खारिज कर दिया था। इसके बाद अगस्त में जनरल नरवणे ने एक बयान में कहा था कि नेपाल किसी और (चीन की तरफ इशारा) के इशारे पर भारत का विरोध कर रहा है। नेपाल सरकार ने इस बयान पर नाखुशी जाहिर की थी।
गोयल गए थे काठमांडू
रॉ चीफ सामंत कुमार गोयल ने पिछले हफ्ते अचानक काठमांडू दौरा किया था। उन्होंने यहां प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से मुलाकात की थी। नेपाल में इस यात्रा को लेकर कई तरह की बातें हो रहीं थीं। बाद में नेपाल सरकार ने साफ किया कि गोयल का नेपाल दौरा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रतिनिधि के तौर पर हुआ था। अब जनरल नरवणे नेपाल जा रहे हैं।
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